बुधवार, 1 अगस्त 2012

चलो, चलें गोराई

मुम्बई का गोराई बीच ..यानी मुम्बई में मेरी सबसे पसन्दीदा जगह .....इसके आगे तो गोआ के बीच भी कुछ नहीं ...यह मेरी दृष्टि है वरना दुनिया तो पागल है गोआ के बीचेज के लिये।


बोरीवली खाड़ी से फेरी पर हो कर सवार आप पहुँच सकते हैं गोराई द्वीप। फेरी से उतरते ही बीच पर जाने के लिये ऑटो रिक्शा के अतिरिक्त टम-टम भी आपकी प्रतीक्षा में खड़े मिलेंगे आपको। दोनो में से कुछ भी चुनिये और पहुँच जाइये गोराई बीच।   

गोराई बीच में बना एक बौद्ध पगोडा ...यानी चंचल मन को शांत होने देने के लिये एक सुअवसर ... 
अरब सागर की तटीय रेत पर हिलोरें मारती सागर की लहरें और किनारे-किनारे उगे दीर्घकाय नारियल के वृक्षों के झुरमुट .......... मेरे लिये तो मन की शाँति के लिये यह स्थान सबसे उपयुक्त है

सागर को निहारने और लहरों से बातें करने का आनन्द अनुपम है

ये हैं हमारे दद्दू। मैंने उन्हें छेड़ते हुये कहा कि दद्दू आपके सिर पर चोटी की जगह नारियल उग आया है, वे चौंक गये और उनका हाथ सचमुच चोटी की जगह चला गया। ऐसी शरारतों का मज़ा लेने का अवसर मैं कभी नहीं छोड़ता।

दद्दू का घर बोरीवली में ही है। उनके घर की खिड़की खोलते ही जो दृश्य सामने दिखायी देता है वह है अरब सागर। उस दिन गोराई पहुँचकर उन्होंने हाथ उठाकर बताया कि इस दिशा में सीधे चले जाओ तो कैप ऑफ़ गुड होप पहुँच जाओगे। शायद उन्हें यकीन था कि मैं अभी उठकर उनकी उंगली की दिशा में सीधे चलने वाला हूँ ......कैप ऑफ़ गुड होप के लिये।   

"इन लहरों की सौगन्ध जो कभी साथ छोड़ा तुम्हारा ....."
शायद यह नव युगल यही कह रहा है ...... 

सागर की लहरों का झुककर अभिवादन करता नारियल का एक पेड़।
नारियल कृतज्ञ है सागर की लहरों का ....
क्योंकि ये लहरें ही हैं जो सुदूर निर्जन टापुओं में नारियल के फल लेजाकर
उनकी वंशवृद्धि का पुण्य कार्य करती हैं।
ये लहरें न होतीं
तो न जाने कितने द्वीपों-महाद्वीपों के लोग नारियल से वंचित रह जाते।
इन लहरों को मेरा भी विनम्र अभिवादन !

नारियल के झुरमुटों के बीच एक झुरमुट केतकी का भी।
कंटीली पत्तियों से घिरे.........
ख़ुश्बू बिखेरने पर आमादा.........
केतकी की पुष्प मंजरी को देख भला कौन न इस पर मोहित होगा !

ऊपर
बादलों से आच्छादित नील गगन
और नीचे
समुद्र के नीलेजल का विस्तृत साम्राज्य.......
सचमुच,
हमें अपने सारे अहंकार बौने लगने लगे हैं।

दद्दू शायद लहरों पर बैठ कर कैप ऑफ़ गुड होप जाने के लिये गम्भीर हो उठे हैं....
जाइये-जाइये ....ज़रूर जाइए ....
आपकी यात्रा मंगलमय हो दद्दू जी!

"लेकिन जाने से पहले रास्ते के लिये कुछ जड़ी-बूटियाँ तो चुन लूँ....."
दद्दू शायद यही सोचकर इस द्वीप में आकर कुछ खोज रहे हैं।

लीजिये, मिल ही गया ।
जिन खोजा तिन पाइयाँ ......
मार्ग के लिये इससे अच्छा पाथेय और क्या हो सकता है भला!
सफ़ेद फूल और लम्बी-लम्बी पत्तियों वाला यह है सफ़ेद मूसली यानी Chlorophytum arundinaceum

गहरे कत्थई रंग के पतले सूत्राकार तने पर लगी
जिव्हाकार, लम्बी, गहरी हरी पत्तियों में सफ़ेद शिराओं वाले आकर्षक पादप का नाम है  
सारिवा यानी अनंतमूल यानी Hemidesmus indicus.  
डायरिया, ख़ूनी पेचिश, ज्वर एवं सप्युरेटिव वूण्ड्स की औषधि।
यह एक उत्तम रक्त शोधक औषधि के रूप में सुविख्यात है।

यह ख़ूबसूरत पुष्प है जिस वनौषधि का उसका नाम है ...
वन हरिद्रा यानी जंगली हल्दी यानी Curcuma aromatica

बहुत हुआ ....
मैं तो थक गया भाई .....अब और नहीं ......

कुछ देर आराम कर लूँ फिर चलूँ .....

ठीक है दद्दू जी! आप आराम फ़रमाइये ...तब तक मैं आँखों में समुद्र भर लूँ

ये ख़ूबसूरती और कहाँ मिलेगी !
 
सागर का किनारा हो
उबलती जवानी हो
साथ में एकांत भी हो
तो पानी में आग लगने से कौन रोक सकता है भला!

6 टिप्‍पणियां:

  1. केप ऑफ गुड होप तो नहीं मगर इस खूबसूरत द्वीप पर जाने के लिए मन मचल रहा है......
    केतकी लाजवाब....
    देखना,पढ़ना दोनों भला लगा...
    दद्दू की चुटिया मस्त है..
    :-)

    सादर
    अनु

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  2. मनोरम गौराई!! साफसुथरा और भीड भाड से दूर

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  3. बहुत ही ख़ूबसूरत जगह है, गोरई
    गोरई से कुछ ही दूरी पर है मनोरी ..अगली बार वहाँ भी जाने का प्लान कीजियेगा....वाईट सैंड और शीशे जैसा साफ़ पानी वहाँ, का.

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  4. डॉक्टर साहब! आज तो हमरे मुँह से भी बस एही निकल रहा है कि
    सागर किनारे/ दिल ये पुकारे!!

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  5. ओये होए ......
    दद्दू की इतनी तस्वीरें और अपनी सिर्फ दो ......?

    केतकी के पहली बार दर्शन हुए ....
    बहुत ही खूबसूरत जगह है ....
    तो आजकल मुम्बई की सैर पर हैं .....:))

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टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.