मंगलवार, 8 नवंबर 2016

ये नक्षत्र...

वहाँ...
ब्रह्माण्ड में
जहाँ तमस ने
डाल रखा है अपना डेरा
एक कृष्णविवर हो गया है
भूखा इतना
जैसे कि जन्म-जन्म से कुछ न खाया हो ।

मरभुखे ने
आज फिर निगल लीं
प्रकाश की कुछ किरणें
और
उदरस्थ कर उजास को
कहने लगा है दम्भ से
स्वयं को नक्षत्र ।

किरणें विवश हैं
उस दम्भी को प्रणाम करने के लिये
गोया
बिछ गया हो लोकतंत्र

किसी दुष्ट राजा के चरणों पर ।  

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