शनिवार, 23 जुलाई 2016

दर्द बना मसाला

शहर में
आज फिर आतंकी हमले हुये हैं  
कुछ ज़िन्दा आदमी
फिर कतरा-कतरा होकर लाश हुये हैं ।
घायल चीख रहे हैं
लोग दहशत में भाग रहे हैं ।  
लाशों के छितरे हुये कतरों पर
मड़राने लगे हैं
कौवे, मक्खियाँ, चीटियाँ,
पत्रकार और कैमरे ।
होने लगे हैं
सीधे प्रसारण,
परोसी जाने लगी हैं
हादसाई ख़बरें
गोया सुनाया जा रहा हो ।    
कोई चटपटा किस्सा ! 
सनसनी ने ले ली है
दर्द की जगह ।
व्यापार चमक उठा है
दर्द, लाशों, आतंक ...
और सनसनी का ।
मौत! 
यहाँ एक मसाला है ।
मौत!
यहाँ एक किस्सा है ।
चलो, अच्छा है...
दुनिया

दुःखनिरपेक्ष हो गयी है । 

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