रविवार, 23 अगस्त 2015

आसपास ... अगस्त 2015

“एनी बडी कैन यूज़ मी......”

“एनी बडी कैन यूज़ मी जस्ट फ़ॉर वन थाउज़ेण्ड” - पुलिस के सामने निर्भीकता से दिया गया यह वक्तव्य है उस युवती का जो शिक्षित है, आधुनिक है, सभ्य समाज की हिस्सा है और पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर विकास के रास्ते तय करने की पक्षधर है । यह युवती फ़र्राटेदार अंग़्रेज़ी बोलती है जो कि आजकल उच्च शिक्षित होने का प्रमाण माना जाता है । यह य़ुवती जब अपने विशेष ग्राहक की ख़िदमत में जगदलपुर के पास बसे गीदम जैसे बहुत छोटे से कस्बे में पहुँचती है तो उसे रिसीव करने के लिये लक्ज़री गाड़ी बस स्टैण्ड पर हाज़िर रहती है जो इस बात का प्रमाण माना जाता है कि वह आधुनिक है । अब किसमें इतना दुस्साहस है जो इस युवती को सभ्य समाज का हिस्सा मानने से इंकार कर दे ।
प्रगति के लिये छटपटाती आधुनिक भारतीय नारी की स्वतंत्रता और उसके सशक्तीकरण का जो चित्र बस्तर के गाँवों और छोटे-छोटे कस्बों के सामने प्रकट हो पा रहा है उसका प्रभाव किशोरवय बालक-बालिकाओं पर पड़ना स्वाभाविक है ।
बस्तर में देहव्यापार निरोधक धारा का प्रावधान नहीं है इसलिये विगत कुछ वर्षॉं से इसका अनुचित लाभ उठाते हुये यहाँ देह व्यापार की घटनाओं में बड़ी तेजी से वृद्धि हुयी है । बस्तर देहव्यापारियों के लिये स्वर्ग बनता जा रहा है । कल यहाँ तीन युवतियाँ पकड़ी गयीं जिनमें से एक युवती किसी अधिकारी की पत्नी थी, दूसरी किसी ठेकेदार की पत्नी और तीसरी किसी शासकीय कर्मचारी की मंगेतर । दलाल थे शासकीय विद्यालयों में कार्यरत दो शिक्षक ।
बस्तर का देहव्यापार भी अब आधुनिक हो गया है । पहले आभिजात्य घरानों के धनाड्य शिक्षित पुरुष इस बाज़ार के ग्राहक हुआ करते थे, अब उन्हीं घरानों की शिक्षित लड़कियाँ स्वयं को बेचने के लिये बाज़ार में प्रस्तुत हो चुकी हैं । ज़िस्म की दलाली के लिये विद्यालयों के गुरुदेव भी कूद पड़े हैं । कुल मिलाकर सारा धन्धा आकर्षक हो गया है । देह व्यापार में सम्मानित परिवार की लड़कियों और स्त्रियों के प्रवेश के साथ-साथ ज्ञानदाता गुरुदेवों का दलालरूप में अवतरण समाज के साधारण परिवार के लोगों के लिये निश्चित ही चिंता का विषय है ।

हमारे लिये चिंता का एक विषय यह भी है कि गणमान्य रक्षित एवं अभयदान प्राप्त ये गुरुजन विद्या के मन्दिरों को आगे भी अपवित्र करते रहेंगे ...... अशिक्षित आदिवासियों के बच्चे इनसे ज्ञान प्राप्त करने स्कूल जाते रहेंगे । कोई देव ऐसा नहीं है जो उन्हें उनके पापों का दण्ड दे सके । 

पता नहीं हिरण्यकश्यप और दुःशासन जैसे लोग बार-बार पैदा ही क्यों होते हैं ?

चार-पाँच साल की दुधमुही बच्चियों से बलात्कार के बाद हत्या और किशोरी बालिकाओं के साथ माँ की आँखों के सामने सामूहिक बलात्कार के युग में प्रधानमंत्री के स्वप्नदृष्टा का यह वक्तव्य, कि “एक स्त्री से तीन-चार लोग बलात्कार कर सकें यह व्यावहारिकरूप से असम्भव है” हमें असुर युग की याद दिलाता है ।
उत्तरप्रदेश और बिहार का प्राचीन इतिहास असामाजिक तत्वों, दैत्यों, दानवों और लुटेरों की आतंकपूर्ण घटनाओं से भरपूर रहा है । त्रेतायुग में पहले तो राम को वनवास भेजा गया फिर वहाँ की जनता ने सीता की पवित्रता पर प्रश्न खड़े किये । तात्कालिक परिस्थितियों ने गर्भवती सीता को निष्काषित किया । कृष्ण को न जाने कितने खल-राजाओं से युद्ध करते-करते अंततः यूपी छोड़कर गुजरात के एक टापू में जाकर शरण लेने के लिये विवश होना पड़ा । गौतम बुद्ध को कई षड्यंत्रों का सामना करना पड़ा ।
विदेशी आततायियों को आमंत्रित करने वाले देशद्रोही राजाओं में भी यूपी आगे रहा है । आज भी अपराधों और अराजकता के लिये यूपी-बिहार की जोड़ी पूरे भारत में जानी जाती है । जहाँ की पुलिस भैस और मुर्गियों को तो खोजने में तत्पर हो किंतु बेटियों की इज़्ज़त की सुरक्षा में परमहंस सी सांसारिक निर्लिप्तता प्रदर्शित करती हो वहाँ अब राम, कृष्ण, महावीर, और बुद्ध आ भी जायं तो क्या कर सकेंगे ?
किन्तु ध्यान रहे कि अमानवीय अत्याचारों और अन्याय के विरुद्ध यूपी-बिहार के आम लोग ही हर बार क्रांतियों का सूत्रपात भी करते रहे हैं । यूपी-बिहार के लोगो ! जागो !!  इस धरती पर बढ़ते असुरों और दैत्यों के भार को कम करने तुम्हें ही उठ कर खड़े होना होगा ।  

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